रतलाम के मुक्तिधाम में मनती है अनोखी दिवाली, जलती चिताओं के पास परिवार सहित दिवाली मनाते हैं लोग
Reported By : Divyaraj Singh
आमतौर पर शमशान का नाम आते ही अंधेरे से भरी एकांत जगह की तस्वीर सामने आती है। लेकिन दीपावली के मौके पर रूप चौदस के दिन रतलाम के त्रिवेणी मुक्तिधाम में हर्षोल्लास के साथ महिलाएं और छोटे बच्चे दीपावली मनाते हुए नजर आते हैं। प्रेरणा संस्था से जुड़े सैकड़ों लोग यहां दीपदान करने और पूर्वजों को याद करने पहुंचते हैं। रूप चौदस की शाम त्रिवेणी मुक्तिधाम में अलग ही नजारा देखने को मिलता है जहां रंगोली बनाकर सैकड़ों दीपक लगाए जाते हैं। ढोल बाजे और आतिशबाजी के साथ दीपावली मनाई जाती है। आज शाम 6:00 बजे से प्रयास संस्था द्वारा यह आयोजन त्रिवेणी मुक्तिधाम में आयोजित किया जाएगा।
2006 में हुई अनोखी परंपरा की शुरुआत
मुक्तिधाम में दिवाली मनाने की यह परंपरा ज्यादा पुरानी नहीं है। प्रेरणा संस्था से जुड़े गोपाल सोनी बताते हैं कि 2006 में उनकी संस्था के 5 लोगों ने मिलकर श्मशान में दीपदान करने का कार्यक्रम आयोजित किया था। जिसके बाद धीरे-धीरे लोग इस दीपदान कार्यक्रम से जुड़ते गए और अब बड़े स्तर पर मुक्तिधाम में दिवाली मनाने का आयोजन किया जाता है। गोपाल सोनी के अनुसार दीपावली के दिनों में एक परिचित की माता जी के अंतिम संस्कार के दौरान गजेंद्र कसेरा, चेतन शर्मा, मधुसूदन कसेरा, राजेश विजयवर्गीय और गोपाल सोनी ने मुक्तिधाम में त्यौहार के दिन मुक्तिधाम में पसरे सन्नाटे और अंधकार को देखकर पहली बार 31 दीपक लगाकर इस कार्यक्रम की शुरुआत की थी। जिसका उद्देश्य दिवंगत परिजनों के प्रति सम्मान प्रकट करना और उनका आशीर्वाद प्राप्त करना था। धीरे-धीरे इस आयोजन में कई परिवार और जुड़ते गए और अब महिलाएं और बच्चे भी बिना डरे मुक्तिधाम में आकर दीपावली मनाते हैं।
मुक्तिधाम में महिलाएं और बच्चे बिना डर के मनाते हैं दिवाली
आमतौर पर मुक्तिधाम में महिलाओं और बच्चों को नहीं लाया जाता है। शमशान का नाम आते ही गमजदा माहौल और रोते बिलखते परिजनों का दृश्य दिखाई देता है लेकिन रूप चौदस के मौके पर इसी मुक्तिधाम में खुशियों और उत्साह के साथ महिलाएं और छोटे बच्चे भी दीपदान कर आतिशबाजी करते नजर आते हैं।