रिश्वत के 1 लाख पूरे नहीं मिले तो दर्ज कर दिया गैंगरेप का मामला, बेगुनाह ने 82 दिन काटी जेल
गैंगरेप के एक फर्जी मामले में रतलाम जिले की ताल थाना पुलिस की बेहद शर्मनाक करतूत सामने आई है। भ्रष्ट थाना प्रभारी करण सिंह पाल और आरक्षक ओपी गुर्जर के लालच की वजह से 2 निर्दोष युवकों को 82 दिन जेल में गुजारने पड़े हैं। इस मामले में एसपी राहुल कुमार लोढा द्वारा करवाई गई जांच में गैंगरेप का पूरा मामला फर्जी पाया गया था। रतलाम पुलिस अधीक्षक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस मामले में ताल थाना पुलिस के द्वारा प्रकरण खारीजी रिपोर्ट पेश किए जाने की जानकारी दी थी। लेकिन नवागत थाना प्रभारी पृथ्वी सिंह खल्लाटे भी थाने की परंपरा को कायम रखे हुए है । थाना प्रभारी 3 हफ्तों से खारीजी रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने को लेकर टालमटोल करते रहे है ।
26 दिसंबर को इस पूरे मामले का पटाक्षेप हो जाने और जांच के बाद पुलिस द्वारा क्लीन चिट दिए जाने के बाद भी 21 दिनों तक ओर इन बेगुनाह युवकों को जेल में ही रहना पड़ा है । अंततः आलोट न्यायालय से फर्जी गैंगरेप मामले में आरोपी बनाए गए राजेश सिंह को जमानत मिल सकी है। केस डायरी और खारीजी रिपोर्ट समय पर कोर्ट में पेश नहीं करने को लेकर माननीय न्यायाधीश ने थाना प्रभारी पृथ्वी सिंह खल्लाटे को कड़ी फटकार भी लगाई है।
यह था मामला
दरअसल शराब तस्करी के फरार आरोपी की पत्नी ने शराब ठेकेदार और गांव के दो अन्य युवकों पर कार में अपहरण कर ले जाने और गैंग रेप किए जाने की शिकायत ताल पुलिस थाने पर दर्ज करवाई थी। महिला ने शिकायत में बताया था कि वह अपने भांजे के साथ खरीदारी करने ताल जा रही थी तभी रास्ते में पिपलोदा पंथ के पास मोटरसाइकल पंचर हो गई। उसका भांजा उसे पेट्रोल पंप के पास छोड़कर पंचर बनवाने के लिए आगे चला गया। पीछे से आई सफेद कार में सवार कुलदीप सिंह, जुझार सिंह और राजेश सिंह ने उसे कार में लिफ्ट दी और चलती कार में आंख पर पट्टी बांधकर अपहरण कर अज्ञात स्थान पर ले गए। जहां तीनों ने उसके साथ दुष्कर्म किया और मारपीट की। शिकायत दर्ज होने के बाद तीनों आरोपियों के परिजन ताल पुलिस थाने पर पहुंचे और आरोपी कुलदीप और राजेश सिंह के घटना स्थल पर मौजूद नहीं होने के संबंध में सीसीटीवी फुटेज और प्रमाण उपलब्ध करवाए। लेकिन भ्रष्ट थाना प्रभारी करण सिंह पाल और उसके साथी आप गुर्जर ने राजेश सिंह के भाई मुकेश सिंह से मामला दर्ज नहीं करने के लिए 1 लाख रूपयो की मांग कर ली। मुकेश सिंह के पास पर्याप्त रुपए नहीं थे। वह कहीं से उधार 30 हजार रूपए लेकर थाने पहुंचा जहां आरक्षक ओपी गुर्जर ने ₹30000 की रिश्वत ली। इसके बाद फर्जी गैंगरेप का प्रकरण दर्ज कर लिया गया।
शिकायत जब पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा के पास पहुंची तो रिश्वत लेने वाले आरक्षक ओपी गुर्जर को निलंबित कर थाना प्रभारी करण सिंह पाल को भी लाइन हाजिर किया गया। पुलिस अधीक्षक की संवेदनशीलता और निष्पक्षता की वजह से ही इस मामले का पटाक्षेप हो सका है।
भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों को SP का भी डर नहीं
इस पूरे मामले का खुलासा तब हो सका जब पुलिस अधीक्षक राहुल कुमार लोढ़ा के पास यह शिकायत पहुंची। एसपी रतलाम में इस मामले में निष्पक्ष जांच करवा कर गैंग रेप के फर्जी मामले का खुलासा प्रेस कांफ्रेंस में किया। 26 दिसंबर को मामले का पटाक्षेप हो जाने के बाद भी ताल थाने के नए प्रभारी पृथ्वी सिंह खल्लाटे इस मामले में ढिलाई बरतते रहे और 17 जनवरी तक न्यायालय में प्रकरण खारीजी रिपोर्ट ही पेश नहीं कर सके। इस लापरवाही के लिए माननीय न्यायाधीश ने थाना प्रभारी खल्लाटे को कड़ी फटकार भी लगाई।
गौरतलब है की रतलाम एसपी निजी अवकाश पर है। ऐसे में ताल थाना प्रभारी जैसे पुलिस अधिकारियों को वरिष्ठ अधिकारियों का डर ही नहीं है और रतलाम पुलिस स्टेंडबाय मोड में चली गई है।