पिपलोदा के राठौर परिवार ने करवाई अपनी धर्मपुत्री की धूमधाम से शादी, आदिवासी बेटी के कन्यादान का मिला सौभाग्य
समाज में जातिगत भेदभाव , द्वेष और जनजातीय वर्ग के शोषण जैसी घटनाओं से समाचार पत्र और सोशल मीडिया भरे रहते है। लेकिन कुछ सकारात्मक घटनाएं ऐसी भी होती है जो सामाजिक समरसता को बढ़ावा देती है। रतलाम जिले के पिपलोदा के राठौर परिवार ने सामाजिक समरसता की अनोखी मिसाल पेश की है। पिपलोदा निवासी रिटायर्ड शिक्षक भोपाल सिंह राठौर ने अपनी धर्मपुत्री अनीता बामनिया का विवाह बड़ी धूमधाम के साथ संपन्न करवाया और आदिवासी कन्या पुत्री के कन्यादान का सौभाग्य प्राप्त किया है। जिसकी चर्चा में पूरे नगर में हो रही है।
दरअसल पिपलौदा के रहने वाले भोपाल सिंह राठौर के खेत पर बामनिया परिवार कई वर्षों से काम करता है। सीधे-साधे आदिवासी भाई प्रभुलाल बामनिया और उनकी पत्नी के साथ उनके 5 बच्चे भी थे। इनमें से तीन पुत्रियां भी थी । भोपाल सिंह राठौर ने स्वयं शिक्षक होने के नाते अपने दोनों बेटों के साथ ही बामनिया परिवार के बच्चों को भी पढ़ाई से जुड़ने के लिए प्रेरित किया। इन बच्चों में सबसे ज्यादा प्रेरित हुई अनीता बामनिया। उसकी लगन और नटखटपन देखकर राठौर परिवार ने उसे धर्म पुत्री मान लिया। पहली कक्षा से लेकर बीए तक की पढ़ाई भी करवाई। इतना ही नहीं बल्कि अनीता राठौर परिवार के साथ इनके घर पर ही रहती थी। अनीता का दूसरा परिवार भी पास ही रहता है ऐसे में सभी बच्चों को आना जाना भी लगा रहता था।
अगस्त 2023 में भोपाल सिंह राठौर रिटायर्ड हुए हैं। इस बीच बीए करने के बाद जब अनीता के परिवार ने खराड़ी परिवार में उसका विवाह तय किया तो भोपाल सिंह राठौर और उनके दोनों पुत्रों को परिवार के तौर पर साथ लेकर गए। इसके बाद राठौर परिवार की सहमति से ही रिश्ता पक्का हुआ तो राठौर परिवार ने ही उसके विवाह की सभी रीतियां करने और इसका पूरा खर्च उठाने का भी निर्णय लिया। अपनी धर्मपुत्री का विवाह समारोह पूर्वक मार्च 2024 में संपन्न करवाया है। विवाह पत्रिका में अनीता के नाम के साथ धर्मपिता और उसके पिता दोनों का नाम लिखवाया गया। बामनिया परिवार के अनुसार राठौर परिवार से मिले प्रेम, सहयोग और माहौल के चलते गरीब परिवार की बेटी का न केवल जीवन बदला बल्कि इससे समाज को भी नई प्रेरणा मिली है। राठौर परिवार और बामनिया परिवार की मित्रता और सामाजिक समरसता की प्रशंसा सभी जगह हो रही है।